Foliole Friends

Fuming, steaming, stimulating. A Camaraderie Cafe

Sunday, March 07, 2010

"जेन, अर्थात चोर को चन्द्रमा का उपहार"

"एक जेन कथा में साधक की कुटिया में चोर घुस आता है. कुटिया में चुरानें लायक कुछ नहीं है. चोर खली हाथ लौट ही
रहा होता है की साधक आ जाता है. वह उसे खाली हाथ भेजनें की बजाय अपने पहने हुए वस्त्र भेंट कर देता है. निर्वस्त्र
साधक कुटिया के बाहर शिला पर बैठ कर पूरे खिले चाँद को निहारते हुए सोचता है, काश ! चोर को यह चन्द्रमा उपहार में
दे पाता !"

सन्दर्भ ग्रन्थ: जेन कहानिया, मालचंद तिवारी , वाग्देवी प्रकाशन , 2009

Labels:

1 Comments:

  • At 7/3/10 11:26 PM, Blogger Ashish said…

    बहुत दिनों से ऐसे ही किसी किस्से की चाह थी।

     

Post a Comment

<< Home