"ज़ेन, अर्थात चोर को चन्द्रमा का उपहार" : द्वितीय संस्करण
सुदूर अंचल की एक सुनहरी शाम और काम से घर लौटता तीतु गोंड ! आज वह खुश है कि बहुत दिनों बाद बच्चों को भरपेट चावल नसीब होंगे !
झोंपड़ी में पहुंचा तो पाया सब ओर मुर्दनी छाई है! पूछने पर पत्नी ने बताया 'सरकार' ने सब को जंगल छोड्ने
का हुक्म जारी किया है! "माँ कहाँ है?" तीतु ने पूछा ! "सास को जंगल से लकड़ियाँ चुराने के जुर्म में 'सरकार' ने कैद कर लिया है!"
दिनभर के काम से देह दुःख रही थी पर आँखों से नींद नदारद ! देर रात झोंपड़ी के बाहर चट्टान पर बैठा तीतु पूरे खिले चाँद को निहारते हुए क्या सोचता है?
झोंपड़ी में पहुंचा तो पाया सब ओर मुर्दनी छाई है! पूछने पर पत्नी ने बताया 'सरकार' ने सब को जंगल छोड्ने
का हुक्म जारी किया है! "माँ कहाँ है?" तीतु ने पूछा ! "सास को जंगल से लकड़ियाँ चुराने के जुर्म में 'सरकार' ने कैद कर लिया है!"
दिनभर के काम से देह दुःख रही थी पर आँखों से नींद नदारद ! देर रात झोंपड़ी के बाहर चट्टान पर बैठा तीतु पूरे खिले चाँद को निहारते हुए क्या सोचता है?
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